गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

३...कहानी घर घर की

पार्वती :"श्रुति , कहां है तू, सुबह से ढूंढ रही हूं तुझे कहां चली गयी थी तू।"
श्रुति: "मामा मैं वोह अंदर , कमल चाचु से गांड मरवा रही थी, बताइये क्या काम था मुझसे।"
क्या कहा, तू चाचु से गांड मरवा रही थी, शरम नहीं आयी तुझे। वहां तेरे पापा हाथ में लंड लिये तेरी चूत और गांड मारने का इंतज़ार कर रहे हैं और तू यहां चुदवा रही है। पता नहीं हर सुबह ओफ़िस जाने से पहले पापा को तेरी ज़रुरत होती है, वो तेरी चूत और गांड चोदे बिना कहीं नहीं जाते।
पता है मामा, लेकिन मैं क्या करुं कमल चाचु मुझे ज़बरदस्ती कमरे में ले गये। और तुम तो जानती हो मर्द का लौड़ा देखते ही कैसे मेरी चूत और गांड रस छोड़ने लगती है, इसलिये मैं न नहीं कर पायी और चाचु से चुद गयी।
पार्वती: "कमल आज जो कुछ भी हुआ अच्छा नहीं हुआ, तुम जानते हो ओम को ओफ़िस जाने के लिये कितनी देरी हो रही है, मगर वो श्रुति को चोदे बिना कहीं नहीं जायेंगे, फिर तूने श्रुति को क्युं चोदा, पूरा दिन पड़ा था उसे चोदने के लिये, तू बाद में भी तो उसे चोद सकता था।
कमल: वो भाभी क्या हुआ न, मैं आंगन में सुबह सुबह टहल रहा था तो देखा श्रुति वहां सलवार उतार के संडास कर रही है, वो नाज़ारा देखते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैं श्रुति को अपने कमरे में ले जाके उसकी गांड चाटी और फिर उसकी गांड मारी। सोरी भाभी, फिर कभी ऐसा नहीं होगा, मैं ओम भैया के ओफ़िस जाने के बाद चोद लुनगा। पार्वती: "हां ठीक है कमल, तुमने श्रुति को संडास करते हुए देखा और तुम्हारा लंड खड़ा हो गया, पर तुमने श्रुति को क्युं अपने कमरे में ले गये, मुझसे कहा होता तो मैं तुमको अपनी गांड मारने दे देती, कम से कम ओम को तकलीफ़ तो नहीं होती। क्युं क्या तुम्हें अपनी भाभी की गांड चोदने में मज़ा नहीं आता।
कमल: "अरे नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है, आपकी गांड मारने के लिये तो अपनी जान भी दे सकता हूं, आपकी गांड में इतनी ताकत है के सारी दुनिया इसे चोदेगी तो भी इसकी खूबसूरती कम नहीं होगी। और आपकी गांड का स्वाद तो ज़बरदस्त है। सोरी भाभी गलती हो गयी। श्रुति: "हां मामा(mom), We are sorry, कल से कभी ऐसा नहीं होगा। मुझे माफ़ कर दो। चलो पापा के कमरे में चलते हैं, मेरी गांड भी पापा के लंड को तरस रही है।"
श्रुति: सोरी पापा, आपको मेरे लिये वैट करना पड़ा, वो क्या है न कमल चाचु ने मुझे सुबह सुबह संडास करते हुए देख लिया तो, उनका दिल बहक गया और उन्होने मुझे अपने कमरे में ले जाके चोद डाला। वो भी बहुत शर्मिंदा हैं आज के लिये, प्लीज हमें माफ़ कर दीजिये पापा, अगली बार ऐसा नहीं होगा, आपसे जी भर के चुदवाने के बाद ही किसी और से चुदवाउंगी।
ओम: "नहीं बेटी, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है, बस तुम तो जानती हो, सुबह जब घर से निकलता हूं तो तुम्हारी गांड चाटके और चोदके ही निकलता हूं, मेरा ऐसा मानना है के ऐसा करने से दिन अच्छा गुज़रेगा। तुम्हें तो पता है के हमारा भड़वागिरी का धंधा है सब customers पे depend करता है, अगर customers को हमारे यहां की लड़कियां पसंद नहीं आयी तो फिर मुझे तुम्हारी मा पार्वती को उनके पास भेजना पड़ता है जो मुझे पसंद नहीं है।"
I can understand papa, चलिये अब अपनी बेटी को खूब रगड़ रगड़ के चोदिये, मुझे भी आपका लौड़ा बहुत पसंद है पापा, मुझे इसे चूसने में और अपनी चूत और गांड में लेने में बहुत मज़ा आता है। मेरी चूत आपकी है, मेरी गांड भी आपकी है। खूब चोदिये पापा मुझे।
I am soo proud के तुम मेरी बेटी हो, मैं कितना किस्मत वाला हूं के मुझे पार्वती जैसी रांड बीवी मिलि हैइ, और तुम जैसी छिनाल बेटी को पैदा किया है। चल अब जल्दी से अपने कपड़े उतार , वैसे मैने नाश्ता भी नहीं किया, अपनी चूत से मूत पिला और अपनी गांड से मुझे पीले पीले केक्स खिला।अपनी गांड में कुछ बचा के रखा है या सारा हग दिया सुबह सुबह??
नहीं पापा अभी भी आपके नाश्ते के लिये कुछ बचा के रखा है, आयिये आपको अपना गांड में पकाया नाश्ता खिलाती हूं।
पार्वती: "बाप और बेटी का ऐसा प्यार कितना अच्छा लगता है न कमल, काश मेरा भी कोई बाप होता तो मैं उस से खूब चुदवाती।"
तुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्र थुस्सस्सस्सस्सस्सस्सस्स रथुस्सस पुर्रर्र तूउर्र
कमल: "भाभी ये तुमहारी गांड से कैसी कैसी आवाज़ें आ रही है, लगता है ओम भैया ने खूब मरी है रात को तुम्हारी गांड।"
पार्वती: "हां रे कमल, कल तेरे भैया ओम ने मेरी चूत और गांड चोद चोद के एक कर दी। और उसपर से कल रात खाना भी मसालेदार खा लिया था, ये सब उसी का असर है।"
कमल: "तो चलो न भाभी मेरे कमरे में मुझे भी बहुत भूख लगी है, मैने भी नाश्ता नहीं किया, ओम भैया श्रुति की गांड से खा लेंगे आप मुझे अपनी गांड से खिला देना।" ____________ ______
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ओह भैया येह क्या कर रहे हो, छोड़ो न भैया मुझे बहुत काम है।
ओह आशा तुम्हारी कातिल जवानी से ज़्यादा देर दूर नहीं रह सकता मेरी cute lil sexy slut sister।
अभी घंटे भर पहले ही तो मेरी गांड मार चुके हो, फिर इतनी जल्दी कैसे खड़ा हो गया तुम्हारा लौड़ा??
अगर तुम्हारी जैसी छिनाल बहन घर में गांड हिलाते हिलाते घूम रही हो तो मुझ जैसे बहनचोद का लौड़ा कैसे चुप रहेगा। मैं बस यहां से गुज़र रहा था, देखा के तुम्हारा पैजामा तुम्हारी गांड में अटक गया है, ये सीन देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं चला आया तुम्हारी गांड चाटने को
तेरी गांड चूसने का बेहत दिल कर रहा है आशा, चल उतार अपनी सलवार और टेसट लेने दे मुझे तेरी गांड का।
मगर भैया मा ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा, अगर मा को पता चल गया के मैं इस टाइम तुमसे अपनी गांड चटवा रही हूं तो मुझे मार डालेगी, जानते नहीं मा ने strictly कहा है अगर चोदना चुदवाना है तो सुबह के 9 बजे से पहले और रात के दस बजे के बाद।
"अरे मा तो खुद रंडी की तरह अपने चौकीदार नंदु से चुदवा रही है अभी अभी देख के आ रहा हूं। और वैसे भी मा ने चोदने चुदाने को मना किया है, खाने पीने पर तो कोई रोक नहीं है ना, मैं मा से कह दूंगा मैं आशा की गांड से अपना नाश्ता खाने और चूत से जूस पीने आया था। तब तो मा कुछ नहीं कहेगी।" "अरे भाई हां यह बात तो बिल्कुल सही कही तुमने, मां तो खाने पीने पर कभी नाराज़ नहीं होती।"
मां कविता बाहर दरवाज़े से सब कुछ देख रही थी और मन ही मन खुश हो रही थी उसके अपने बच्चे कितने प्यार से एक दूसरे के साथ रहते हैं और enjoy करते हैं।
ये सब क्या चल रहा है तुम भाई बहन में?
अरे मां वो, वो, क्या है न के, बस कुछ नहीं ऐसे ही आशा से बात करने आ गया था, कुछ नहीं मां कोइ खास बात नहीं है।
मैं ने सब सुन लिया है पर तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं उल्टा मैं बहुत खुश हूं तुम दोनों में इतना प्यार और अपनापन है। जो कुछ करना है जल्दी जल्दी करो, मैं हाल में बैठती हूं।
Thanks मां तुम कितनी अच्छी हो, वैसे तुम भी हमें join करो न, जब तक भैया मेरी गांड चूसता है, मैं भी तुम्हारी गांड को टेस्ट करती हूं और फिर हो सके तो कुछ मैं भी तुम्हारी गांड से खा लुंगी, आओ न मां।
नहीं बेटी , मेरी फ़्रेंड पार्वती बहुत दिनों बाद आयी है मुझसे मिलने मैं उस से हाल में बातें करती हूं तुम लोग जल्दी से ये सब खत्म करके अपने अपने काम पे लग जाओ।
और बताओ कविता सब कुछ कैसा चल रहा है?
सब ऊपरवाले की दया है, घर में खुशियां ही खुशियां हैं, पार्वती
और तुम्हारे बच्चे दिखाई नहीं दे रहे कहां है?
अरे वो दोनो तो किचन में खूब मस्ती कर रहे हैं, मेरा बेटी आशा बहुत बड़ी छिनाल है, अपने भाई समीर से गांड चुसवा रही है, अभी तक तो उसके मुंह में हग भी दिया होगा। और समीर भी अपनी बहन से बहुत प्यार करता है, वो भी अपनी बहन की चूत और गांड का पूरा पूरा ख्याल रखता है। रात को मेरी चूत और गांड भी एक करके चोदता है मादरचोद। मैं बहुत किस्मत वाली हूं पार्वती जो मुझे ऐसा परिवार मिला है।
"बहुत खुशी हुई ये जानकर तुमने अपने बच्चों को इतने अच्चे और सेक्सी संस्कार दिये हैं। मैने भी अपने परिवार को बिल्कुल चुदक्कड़ बना दिया है, कोई भी किसे भी जब चाहे जितना चाहे जिधर चाहे चोद सकता है। लेकिन एक बेटे की कमी महसूस होती है, मेरी सिर्फ़ एक बेटी है जो मुझसे भी बड़ी रांड है, लंड के बगैर एक घंटा भी नहीं रह सकती। मेरे ओम का भडवागिरी का धंधा है जो मस्त चल रहा है। बस ऊपरवाले की दया है।"
तभी पार्वती को किसी का फोन आता है।
"हैलो पार्वती भाभी मैं पल्लवी बोल रही हूं, आपके लिये एक बुरी खबर है, श्रुति को पुलिस ने बाज़ारू रांड समझ कर अर्रेस्ट कर लिया है।"
"क्या हुआ पार्वती, तुम इतनी घबरायी हुई सी क्युं हो, सब ठीक तो है न?"
"अब क्या बताउं कविता, न जाने इस श्रुति ने फिर क्या कर दिया है। पुलिस उसे रंडिगी के जुर्म में पकड़ के ले गयी है। मुझे अभी इसी वक्त पुलिस स्टेशन जाना होगा।"
"श्रुति बेटा ये सब क्या है, क्युं पुलिस तुम्हें यहां पकड़ के लायी है। क्या रंडीपन किया तुमने ??"
"मामा(mom) वो क्या है न के मैं रोड एक किनारे पे बैठ के मूत रही थी, तभी एक 14 साल का बच्चा आके मुझे और मेरी चूत को घूरने लगा, मैने उस से पूछा, क्युं बे साले क्या देख रहा है, कभी किसी लड़की को मूतते हुए नहीं देखा है क्या? तो वो कहने लगा देखा है तो मगर ऐसी मस्त चूत कभी नहीं देखी। मुझे उसकी बात अच्छी लगी और मैं उसकी पैंट खोल के उसका लौड़ा मुंह में लेके चूसने लगी। इतने में पल्लवी आंटी ने मुझे वहां देख लिया और शायद उन्होने ही पुलिस को complaint कर दी।"
"श्रुति तुझसे कितनी बार कहा है, अगर चोदना चुदाना है तो उस लड़के को घर लेके आना था, ऐसे रोड पे तमाशा करने की क्या ज़रूरत थी। तुम्हें तो मालुम है न वो पल्लवी के बारे में, साली रांड छिनाल , खुद को लौड़ा नहीं मिला चुदवाने के लिये तो जल गयी और मेरी बेटी को अंदर करवा दिया। श्रुति तुम्हें सावधान रहना होगा, अगर तू उस लड़के को घर ले आती तो घर वाले कितने खुश होते, मैं भी उस से गांड मरवा लेती, मगर तेरी जल्दबाज़ी ने सब कुछ खराब कर दिया।"
"मामा सोरी, अगली बार i will b careful। मामा मुझे यहां से छुड़ाओ, ये लोग बहुत मारते हैं, गांड देखो लाल कर दिया है मादरचोदों ने मार मार के, मां अगर तुम इंस्पेक्टर साहब से गांड मरवा लोगी तो ये मुझे छोड़ देंगे, मामा प्लीज मेरे लिये एक बार गांड मरवा लो न प्लीज मामा, तुम्हारी गांड की तो सारी दुनिया दीवानी है, एक बार तुम्हारी गांड चोदेगा तो तुम जो कहोगी मानेगा।"
"ठीक है मैं अभी कुछ करती हूं, तू फ़िकर मत कर।"

भाई बहन का ये कैसा रिश्ता....

मेरा नाम आशा है । मेरा छोटा भाई दसवी मैं पढ़ता है । वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है । मैं इस समय १९ की हूँ और वह १५ का । मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं । दिल करता है कि बस चबा लूं । पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे । मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है । एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी । उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी । माँ को एक हफ़्ते बाद आना था । रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी । अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी । मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि अमित के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था । मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ । मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी ।अमित एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था । मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है । मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया । उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया । फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी । मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं । मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा । घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता । मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था ।मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा । मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, "अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता" । वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा । मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली "अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे। चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, "दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।"अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।"और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती। अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी। अमित मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, "चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था। अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला "देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।"अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी। मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। "दीदी मुझे शर्म आती है। "साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा "ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, "मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, "अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ" ।"अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया। मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, "अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ" ।मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, "बस दीदी" और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, "क्यों भय्या मज़ा आया""सच दीदी बहूत मज़ा आया" । "अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?" "दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा" । इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया ।"अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना" । "अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है" ।"चल शैतान कहीं के" । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है । अमित के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । अमित के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी । तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और अमित के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर अमित का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी ।सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अमित के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । अमित भी स्कूल जाने को तैयार था । नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । अमित मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली । चलते समय मैंने कहा, "चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ" । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था । मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, "कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?""अच्छा दीदी" और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था ।"क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित""दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ" । "अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में""हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया" ।"तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं" ।"तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का" ।"चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।"अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा" ।तब तक उसका स्कूल आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी । स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया ।शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । अमित २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, "दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?" "ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या" "दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है" । मैंने हंसी दबाते हुए कहा, "क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं" । "दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो" । "नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये" ।फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, "अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?""हाँ दीदी सुधा से" ।"कहाँ तक""बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं" ।मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, "कभी उसकी लेने का मन करता है?""दीदी आप कैसी बात करती हैं" । वह शर्मा गया तो मैं बोली, "इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता" । "लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है" । "तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है" । मैंने कहा ।"उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है" । "जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी" उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा । मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, "अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ" ।वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते । अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था ।वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, "मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे" । यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अमित की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, "तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?""अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे" । आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है।"अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी" । "पर कैसे दीदी" । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये । मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, "देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों" ।अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, "दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती" । "तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर" । "कौन सा दीदी" "बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी" ।"पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है" । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, "मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है" ।"नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है" । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया । "अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता" । मैंने इठला कर पूछा ।"इनको सहलाने का और इनका रस पीने का" । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । "तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना" । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । "अरे ये तो अभी से तैयार है" ।तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया । मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा "अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा" ।उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी । वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, "अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती" ।"ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया" । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा । मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, "अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है" ।उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, "कभी किसी को किस किया है?" "नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है" । "बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये" ।कैसे"उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया । अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली ।"ऐसे" ।वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, "दीदी मैं भी करूं आपको एक बार" "कर ले" । मैंने मुस्कराते हुए कहा ।अमित ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया । मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था । मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ ।मैं बोली, "चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ" । "दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ" "क्या" मैंने पूछा । "लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे" ।ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, "दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ" ।"नहीं अमित तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन" । "दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये" । "अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा" । "दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी" ।मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, "तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है । तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?" और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन अमित ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है । ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे" । "नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ" । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, "ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है" । वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, "हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है" ।"दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर" ।"हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था" । "ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी" । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया ।"अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती" । और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती ।"दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ" । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । "अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ" । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ ।मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, "अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी । चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत" ।
मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, "सच दीदी" । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।"तू बहुत किस्मत वाला है अमित" । मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी" "अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था" ।"हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था" । फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा । उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी । मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी ।वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा । वह अब झड़ने वाला था । मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी । उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था । मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और "हाय आशा मेरी जान" कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया । मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और "हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी ।चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था । हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे । कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, "क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में" उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था । उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, "बहुत मजा आया दीदी । यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ" । "तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है" "नहीं दीदी यह बात नहीं है" । "तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का" ।"नहीं दीदी ये बात भी नहीं है । मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं । मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं । हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी । अगर एक दो और होती तो सबको चोदता । दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं" ।"कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?" "हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया" । "तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है । अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी । जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी । बहुत मज़ा आता है" । "सच दीदी" "हाँ । अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी" ।"नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है । बाहर क्या मज़ा आयेगा" "अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा" । "ओह दीदी ये कैसे होगा""घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी । माँ अभी ३८ साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा" ।"हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं । दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा" । "जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये" । "दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार" । और लण्ड को चूत पर दबा दिया ।"सिर्फ एक बार" । मैंने ज़ोर देकर पूछा । "सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा" ।"सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं" । "क्यों दीदी" अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था । मैंने उसे झटके देते हुए कहा, "अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे" "हाँ दीदी" ।"ठीक है बाकी दिन क्या होगा । बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या । और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये । अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं" ।उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, "ओह दीदी यू र ग्रेट" ।

ये कैसे रिश्ते............

दोस्तो .ये कहानी आज से क़रीब तीनसाल पहले की है। तब मै एम ऐ के अन्तिम वर्ष मे था, उस दिन रविवार था मेरे माता पिता और बहिन एक रिश्तेदार की यहाँ जाने वाले थे..मै उनके साथ नही गया..क्युकि मेरे टेस्ट चल रहे थे..वैसे पेरी तय्यारी पूरी थी..और ना जाने का कारण दूसरा ही था। दरअसल पिछले तीन दिनों से मै अपने लंड मे बहुत तनाव महसूस कर रहा था.. मेरे क़रीब सभी दोस्तों की गर्ल फ्रेंड थी और वो सेक्स का मजा भी लेते थे..लेकिन मै थोड़ा डरपोंक किस्म का था..इसलिए किसी लड़की से मेरी दोस्ती नही थी..और बाहर सेक्स करके बीमारी का खतरा था..सो मै उस दिन घर पर रूका .सबके जाते ही मै विडियो शॉप से एक इंडियन ब्लू फ़िल्म ले आया..लौटते वक्त अचानक बारिश शुरू हो गई मै पूरा भींग गया ..घर पहुंच कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए..और बिल्कुल नंगा होकर फ़िल्म चालू कर दी..फ़िल्म इंडियन थी और उसमे नायिका भी देसी थी..साड़ी वाली फ़िल्म के शुरू मे चूमा चाटी के बाद फ़िल्म के हीरो ने लड़की की साड़ी खोलनी शुरू की..ये मेरा सबसे प्यारा काम था..मुझे साड़ी वाली औरतों को देख कर ज्यादा लंड सनसनाता है..फ़िल्म मे उस लड़की की बहुत अच्छे से चुदाई दिखाई थी जिसे देख कर मेरा लंड भी फन फनाकर उछल रहा था..मै उसे हाथ से सहलाता रहा..इसी तरह पूरी पिक्चर मैंने देख ली.. अब मै अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था..उसी वक्त दरवाजे की बेल बजी..मै डर गया..जल्दी से टीवी बंद किया मेरा बाथ रॉब पहना और लंड को दबाते हुए दरवाजे के पास आया...फ़िर दरवाजा खोला..दरवाजा खोलने के बाद मेरे होश उड़ गए..सामने मम्मी की कजिन याने मेरी मौसी खड़ी थी..शायद वो कही आस पास ई थी और बारिश मे भीग गई थी..उनकी उमर ज्यादा नही सिर्फ़ ३८ साल की थी..लेकिन वो उतनी लगती नही थी..मेरे साथ तो उनका मजाक का भी रिश्ता था..उनकी १२ साल की एक लड़की थी और वो ख़ुद तलाकशुदा थी..वैसे तो मम्मी की बहिन होने के नाते मेरी मौसी ही थी..लेकिन आज उन्होंने हरे रंग की जो शिफान की साड़ी पहनी हुयी थी वो पानी से उनके पोर्रे बदन से चिपकी हुयी थी और उनके छरहरे बदन को उजागर ही कर रही थी..शरीर हा हर कटाव हर गोलाई साफ नजर आ रही थी..और इसने मेरे लिए आग मे घी का काम किया.., उन्होंने कहा वो किस इंटरव्यू मे जा रही है.. और ये नौकरी उनके लिए बहुत जरुरी है..इसलिये वो कपड़े बदलना चाहती है..उनके ब्लाउज के अन्दर से काली ब्रा साफ नजर आ रही थी, वैसे तो उनके मम्मे मुझे कभी ख़ास नही लगे लेकिन आज वो मुझे बुला रहे थे..ब्लाउज पुरा गीला हो चुका था, और चुन्चियो के निपल भी अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहे थे..मेरा लैंड काबू से बाहर होता जा रहा था..जिसे मैंने दबाये रखा था..वो सीधी बाथरूम की तरफ़ जाने लगी..मैंने देखा उनके मांसल नितम्ब मटकते हुए हिल रहे थे..गांड का कटाव उफ़.. और वो पतली सी कमर..दिल कर रहा था अभी जा के पीछे से जकड लूँ..और चूमते हुए उन्हें बेडरूम मे ले जाकर जबर्दस्त चुदाई कर दूँ..मई जनता था की मेरे मन मे ग़लत और गंदे ख्यालात आ रहे है..लेकिन..शायद उन्हें भी मेरे सामने इस तरफ़ थोड़ी शर्म आई होगी..लेकिन लेकिन मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था..अब तो सिर्फ़ लंड ही सोच रहा था..और उसे चूत के सिवा कुछ नही सूझ रहा था.. तो क्या ग़लत है और क्या सही ये मुझे समझ मे नही आ रहा था..जैसे ही उन्होंने बाथरूम मे जा कर दरवाजा बंद किया..मैं सोचने लगा की मौसी नंगी होने से कैसी दिखाती होगी..और ये सोच कर ही लंड उछल पडा..किसी तरह उसे दबाया फ़िर आंखो के सामने उनकी नोंकदार चुंचिया आ गई..दिल कर रहा था की काश उन्हें पीछे से पकड़ लूँ और सामने हाथ बढ़ा कर मम्मे दबाऊ..फ़िर बिस्तर पर नंगी कर के अच्छे से चुदाई करूं ..मैंने आज से पहले उन्हें इस नज़र से कभी नही देखा था..आज मैं सारे रिश्ते भूल गया था मेरे सामने वो एक मादा थी और मैं एक कामांध नर जो उन्हें मसल के चोदना चाहता था..मेरी सोच जारी थी..तभी वो बाथरूम से सिर्फ़ एक टॉवेल लपेट कर बाहर आई..जो की काफी छोटा था..और हमेशा बाथरूम मे टंगा रहता था..उसमे उनकी आधी चुंचिया ही ढँक पाई थी..उसके बीच की घाटी साफ दिखाई दे रही थी..और नीचे कमर से थोड़ा नीचे का भाग ढंका हुआ था.उनकी चूत से थोड़ा ऊपर तक..उनकी चिकनी और बाल रहित जान्घे और पैर एकदम खुले थे..मैं इस ख़्याल से ही रोमांचित हो गया की घर मे हम दोनों हे अधनंगे और अकेले थे..उनके बदन के हर अंग से सेक्स बरस रहा था..मैं मंत्रमुग्ध हो कर उनके इस अधनंगे हुस्न को निहार रहा था.. उनकी गोरी त्वचा और उसकी चिकनाई जैसे सिल्क का एक चादर हो..वो मेरे सामने खड़ी हुई और टॉवेल को एक हाथ से पकड़ा फ़िर मुझसे कहा की ,अम्मी के कप बोर्ड से एक ब्लाउज , ब्रा और साड़ी उन्हें निकाल के दूँ..जहाँ खड़ी हो कर वो मुझसे बात कर रही थी वहीँ कोने मे एक लंबा मिरर लगा हुआ था और मैं उसने उनके दूधिया चूची को साइड से देख रहा था..मुझे उनके गहरे भूरे रंग के निपल भी दिख रहे थे..मैंने देखा उनके मम्मे एकदम एवरेज साइज़ के थे..और अभी तक लटके नही थे.. लेकिन बहुत ही गोलाई मे थे..मैंने उन्हें पूंछा और कुछ चाहिए..? उन्होंने कहा उन्हें पैंटी भी चाहिए..लेकिन मेरी मम्मी की पैंटी उन्हें फीट नही होगी क्युकी मम्मी की गांड उनसे बहुत बड़ी है..चूँकि वो मुझसे खुली बात करती थी इसलिए ये बात उन्होंने हंसते हँसते मुझसे कही.और वो मुझे अभी भी अपने भांजे की नजर से देख रही थी..लेकिन मैं आज उन्हें मौसी की नजर से नही देख पा रहा था..मेरे सामने तो बस एक औरत का जिस्म था आधा नंगा उफ़ उनके बदन की को मादक गोलाईयां नितम्बो का वो उभरापन स्तनों के बीच की घाटी..और केले के खंभे जैसी चिकनी गोरी गोरी जांघें ..ये नज़ारा देख कर मेरा लंड काबू से बाहर होता जा रहा था.. उस आईने मे मैं उन्हें नंगा ही कर चुका था..उन्हें मैं इस तरह देख रहा हु ये शायद अभी तक उन्होंने सोचा भी नही था..मैं अपनी मम्मी के कपबोर्ड के तरफ़ गया और साड़ी और ब्लाउज तो निकला लेकिन ब्रा मुझे वहाँ नही मिली..मैंने उनके तीन ब्रा धुलाई के कपडो के साथ देख चुका था..दरअसल मम्मी अपनी पैंटी और ब्रा किसी दुसरी जगह रखती थी जो मुझे मालूम नही थी..मैंने ऊपर के खाने मे टटोला तो उनकी पुरानी ब्रा और कुछ पुराने कपडे दिखे, जो की वो कभी पहनती नही थी,और ये ब्रा बहुत ही पतले कपडे की थी उसका स्ट्रेप बहुत छोटा सा था और उसका एलास्टिक भी ख़राब हो चुका था..., मैंने वो मौसी को दिए मैं बाहर आ गया..थोड़ी देर मे मौसी ने मुझे बुलाया और दिखने लगी की वो ब्रा उनके शरीर पर कैसी लग रही है..उन्होंने ब्रा पहन रखी थी..और हंस रही थी..असल मे वो उन्हें ढीली हो रही थी और उनकी चुन्चियों से नीचे लटक रही थी..पूरी चुन्ची खुली थी सिर्फ़ घुन्डियाँ ढकी हुयी थी...वो भी ब्रा के उपरी भाग के टिके हुए रहने के कारण ये देखकर मैं सच मे गरम हो गया..और लंड लोहे के रॉड जैसा सख्त हो गया.. मेरे होंतो पर नकली हँसी लाते हुए मैं खडा रहा..उन्होंने कहा की पहले मेरी मम्मी और उनके ब्रा साइज़ एक से थे..उनके 36 C थे मौसी के 36 D उन्होंने हँसते हुए कहा "शादी के बाद तुम्हारी मम्मी ने बहुत ज्यादा सेक्स का मजा लिया लगता है..इसीलिये उसके साइज़ 42D हो गया है " ये सुन कर मैं एकदम संन्न हो गया क्युकी आज से पहले इस तरह की बात उन्होंने मेरे साथ कभी नही की थीवो शायद भूल गई की वो आधी नंगी खड़ी है और मैं एक जवान लड़का हूँ...मेरे मुह मे पानी आने लगा उनका ये हुस्न देख कर..थोड़ी देर बाद मैं अपने बहन के कप बोर्ड से ३४ साइज़ के ब्रा उन्हें ला दी उन्होंने उसे मेरे सामने ही पहना और कहा "ये फ़िर भी ठीक है, क्युकी ये कम से कम इन्हे पकड़ कर तो रख सकती है, और जानते हो मुझे ऐसा लग रहा जैसे कोई इन्हे दबा रहा है.." ये सब सुन कर तो मैं अपने आप पर काबू नही रख पा रहा था..मैं मेरे लंड के झटके अब नही सम्हाल पा रहा था. मेरा 7.5 इंच का लंड मैं कैसे छुपाऊं ...और मैंने सिर्फ़ मेरा बाथरोब लपेटा हुआ था.. जो की सामने से खुला हुआ था..मैंने दोनों पैरों को एक के ऊपर एक रखा और सोफे पर बैठ गया..अब उह्नोने कपडे पहन लिए और जाने के लिए तैयार हुई और मुझसे कहा की दरवाजा बंद कर लो..जैसे ही मैं उठा..मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया..और उसने मेरे कड़क लंड को देखा जो की उनके तरफ़ निशाना ले रहा था..मैं थोड़ा सा निराश हो गया..उन्होंने कहा.. कोई बात नही अब मैं जा रही हूँ तुम अकेले हो चाहो तो दिन भर नंगे रहो कोई नही देखेगा..और एक अज्ज़ब से मुस्कराहट बिखेर कर चली गयी.जैसे ही वो निकल गई मैंने दरवाजा बंद किया और फ़िर से वोही फ़िल्म चालू कर दिया और अपने लंड को हिलाने लगा..और फ़िर आज तो मैंने एक औरत की चूची और उसके नितम्ब और चिकने सेक्सी पैरो को देखा था..इसलिये मेरा लंड और ज्यादा कड़क हो रहा था, जैसे ही मैं झड़ने के क़रीब आया मुझे याद आया की मौसी के कपडे तो बाथरूम मे ही है.. मैंने लंड हिलाना बंद किया ..मेरे भीतर क्या हो रहा था ये आप समझ सकते है..इतने बार झड़ने के क़रीब आकर मैंने मूठ मरना रोका..मेरे भीतर लावा भड़क रहा था बाहर निकलने के लिए..मैं जल्दी से बाथरूम मे गया..और उसकी पैंटी और ब्रा को ले कर आया मैंने पैंटी को सूंघा बड़ी ही कामोत्तेजक सुगंध थी. उसमे बीच मे एक पीलापन था.जिस जगह उसकी चूत और गांड रहती है वहीँ पर..ब्रा मे भी पसीने की और पाउडर की मिली जुली खुशबू थी..मुझे ऐसा लगा मैं सच मे उसके मम्मे की खुशबू ले रहा हूँ.. मैंने उसकी पैंटी पहन ली उसके उस पैंटी के अन्दर मेरा खड़ा लंड टेंट बनाये हुए था..और वो मैंने आईने मे देखा..और मैं उसे वैसे ही मसलने लगा ..और उसकी पैंटी मे मैंने अपना पूरा माल निकाल दिया..पूरी पैंटी भर गई...मैं काफी देर से उत्तेजित था..इसलिये मेरा माल भी बहुत सारा निकला.. थोड़ी देर मैं वही पलंग पर लेटा रहा ..लेकिन उठाने के बाद मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई और ग्लानी भी हुई..मुझे डर लगने लगा...मैं नही जनता था की पैंटी की ये हालत देख कर मौसी क्या सोचेंगी..क्या मेरे मम्मी डैडी से सब कह देंगी या मुझे झापड़ मरेंगी..और फ़िर कभी बात नही करेंगी..ये सब ख़्याल मेरे दिमाग मे आ रहे थे..मैंने दोनों को (पैंटी और ब्रा) पलंद के ऊपर सूखने के लिए रखे और पंखा तेज चला दिया..तभी मेरे मम्मी का फोन आया..उन्होंने सब ठीक है या नही ये पूंछा फ़िर कहा की वो लोग कहीँ और भी जाने वाले है और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है इसलिये रात मे देर से लौटेंगे इसके बाद मैं अपनी बेवकूफी के बारे मे सोचने लगा..क़रीब एक घंटे के बाद मौसी वापस आई. वो काफी खुश थी.उन्होंने बताया की उन्हें वो जॉब मिल गया है..मैंने उनकी तरफ़ देखा तो उनके ऊपर कुछ कीचड के छींटे दिखे..मैंने पूंछा ये कैसे हुआ ? उन्होंने कहा ..एक मोटरसाइकिल वाले ने तेजी से जाते हुए ये किया है..और अब वो नहाना चाहती है.उन्होंने कहा की वो गरम पानी से नहायेंगी क्युकी बारिश गिरने से माहौल भी ठंडा हो गया था..इसलिये गिज़र चालू कर दूँ मैंने कहा गिज़र तो ख़राब है..उन्होंने कहा मैं बाथरूम मे हूँ तुम गैस पर पानी गरम कर के मुझे ला दो. मैंने गैस पर पानी गरम किया और फ़िर एक बाल्टी मे दाल कर बाथरूम के दरवाजे को खटखटाया ..उन्होंने दरवाजा खोला और कहा की अन्दर ला के रख दो..क्युकी मेरे कमर मे दर्द है और मैं बाल्टी नही उठा सकती..अब मेरा लंड फ़िर से खड़ा होने लगा..मुझे मालूम था की वो अन्दर किस हालत मे होंगी..और बाथ रूम का दरवाजा खोलते ही बांये तरफ़ कमोड था और कमोड की तरफ़ मुह किया तो दाहिनी तरफ़ नहाने की जगह थी..इसका मतलब मुझे बाल्टी अन्दर तक ले जाना था.. मैंने फ़िर पूंछा क्या मैं अन्दर आ जाऊं ? उन्होंने कहा ये तो तुम मेरी मदद करने के लिए कर रहे हो..मैं अन्दर घुसा..ऊफ्फ वो अन्दर पूरी नंगी थी..लेकिन दुसरी तरफ़ के दीवार के पास खड़ी थी..उनका चेहरा दीवार की तरफ़ था और एक हाथ से वो अपनी गांड के छेद को ढांके हुई थी..मैं मुड़ा लेकिन उनके मस्त सेक्सी निताम्बो को देखने से ख़ुद को नही रोक पाया..अब मैंने सोच लिया की अगर आज नही तो कभी नही..मैं अपने घुटनों के बल झुका और मेरा एक हाथ उनके चिकने गोरे जांघों पर फेरते हुए उनकी चूत तक सहलाया..उनकी चूत एकदम चिकनी थी..एक भी बाल नही था..और फूली हुयी चूत थी..मेरे हाथों ने चूत की दरार को महसूस किया..बिल्कुल किसी कुंवारी की कसी हुयी अनचुदी चूत जैसी चूत थी उनकी..ये सब मैंने अचानक किया और उन्हें कुछ सोचने का टाइम भी नही मिला..उन्हें तो जैसे बिजली का झटका लगा और क़रीब १० सेकेंड के बाद उनके मुह से सीत्कार निकली. सी सी स् .स्.स्.स्.स्..स्.और उनकी साँस भारी हो गई.. उन्होंने सिर्फ़ आह्ह ..संजू..उफ़..ना..कर..इतना ही कहा..मैं सहलाता रहा अब उन्होंने पीछे देखा और कहा संजू मैं तेरी मौसी हूँ..ये ठीक नही है..आह्ह्ह.., लेकिन मैंने उनकी बात को सुनी अनसुनी कर दी.. उन्होंने मुझे हटाने का कोई प्रयास नही किया..लेकिन मेरा सहस बढ़ते देख उन्होंने अपनी गांड से मुझे पीछे धकेला मैं बाथ रूम के फर्श पर गिर पड़ा और तब मैंने उनकी मस्त निताम्बो और गांड का पूरा नज़ारा देखा..नितम्ब जैसे दो पहाड़ थे और और गांड का गुलाबी छेद उसके बीच मे , उसपर चारों तरफ़ थोड़े बाल थे..लेकिन वो हलके हलके से.मुझे धकेल कर वो रुकी नही.. बाथरूम से निकलकर वो सीधे उस कमरे मे आई और बेड पर बैठ कार अपनी पैंटी उठाकर पहनने लगी, मैं अब काफी गरम हो चुका था और इस अधूरे मोहीम मे खतरा भी था..किसी भी तरह मौसी की चुदाई तो करना ही था..मैंने अपना बाथरोब निकाल दिया और मेरा फनफनाता ७.५ इंच का लंड हिलाते हुए उनके पास पहुँचा , वो पैंटी पहनने के लिए झुकी थी..मैंने उन्हें वैसे ही बेड पर धकेल दिया अचानक हमले से वो बेड पर गिर पड़ी..उन्होंने पैंटी आधी ही पहनी थी सिर्फ़ घुटनों तक..मैंने दोनों हाथ पकड़ कर उन्हें बेड पर इस तरह लिटाया था की उनके पैर जमीन पर लटक रहे थे..और बाकी का हिस्सा बेड पर था..पीठ के बल ,,ओह्ह..मैंने अपनी जिंदगी मे पहली बार चूत के दर्शन किए..असली चूत..वैसे तो ब्लू फ़िल्म मे देख चुका था..लेकिन ये तो उनसे भी ज्यादा प्यारी चूत थी..एक नंगी चूत..मेरा लंड तो आपे से बाहर हो गया..थोड़ी देर पहले मैंने इसी चूत को सहलाया था..लेकिन तब मुझे सामने का ये खूबसूरत नज़ारा नही दिखा था..मैंने मेरा मुँह उनके मस्त चुंचियों के बीच मे घुसेड दिया..और मेरे नाक से उन्हें गुदगुदाने लगा वो अपने पैरो को जोर से पटकते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी..उसने कहा..संजू..ये ग़लत है..मैं तुम्हारी मौसी हूँ..मुझे ख़राब मत करो..लेकिन मैंने एक ना सुनी..अब मैंने उनके अंगूर जैसे निपल को मुँह मे ले लिया..और दोनों को बारी बारी से चूसने लगा..अब उनके पैर पटकने की स्पीड भी कम होने लगी थी..लेकिन वो कह रही थी..प्लीज़ संजू..आह्ह..मुझे छोड़ दो..उफ़..आह्ह.., अब मैंने उनके निप्पल को हलके से काटना शुरू किया दांत गडाते हुए.. अब वो भी गरम होने लगी थी..क्युकी उनके निपल अब कड़े होने लगे थे..और मैं मुँह मे ले कर चूसे जा रहा था..अब उन्होंने विरोध करना पूरी तरफ़ बंद कर दिया और आँख बंद कर के अआछ..ऊह्ह..चुस्सो..जोर से दबाओ..हाय..स्.स्.स्.स्.स्..संजू..जू.जू..और मेरा सिर अपने चूची पर दबाने लगी..थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरा सिर ऊपर किया और कहा..अब इन्हे चूसना बंद करो और मेरी चूत का ख़्याल करो.. .ये बहूत दिनों से प्यासी है..मैंने उन्हें ठीक से लिटाया..घुटने मोड़ दिए और उनके चूत पर मुँह रखा..आह्ह्हा क्या सुगंध और क्या स्वाद था..उनकी चूत ने जूस निकालना शुरू कर दिया था..और बहूत गीली थी..मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के फांक को फैलाकर अन्दर डाली ..चूत अभी भी गुलाबी थी..और एकदम टाईट जैसे ही मैंने जीभ अन्दर डाली (ये मैंने ब्लू फिल्मो से सिखा था) वो सिसिया उठी..हाय..उफ़..तुमने ये क्या कर दिया संजू....और मैं उनके चूत मे जीभ घुमा रहा था तभी उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया..और कहा..बाप रे..तुम्हारा तो बहुत लंबा और मोटा है..इतना लंबा तो तुम्हारे मौसा का भी नही था और न तुम्हारे डैडी का ..(मैं तो समझ नही पाया..तो क्या डैडी मे भी मौसी को चोदा है?) मैंने उनसे पूंछा तो उन्होंने कहा हाँ मेरी शादी के पहले एक बार तेरे डैडी ने मुझे चोदा था और इसी लिए स्नेह मेरे पेट मे थी शादी के वक्त और ये जानकर तेरे मौसा ने मुझे डाइवोर्स दिया लेकिन उसके बाद मैं आज चुदवा रही हूँ.." मैंने कहा इसीलिये तुम्हारी चूत इतनी टाईट है..उन्होंने कहा हाँ बेटे..लेकिन तेरा लंड तो मूसल है..इतना मोटा लंड..मैंने नही देखा कभी..और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खीचा मेरे लंड को चूमा और चाटा फ़िर अचानक मेरे सुपाडे को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी..अब हम 69 के पोज़ मे थे मैं पागलों की तरह उनकी चूत को चाट रहा था..लंड चटाने से मैं तो एकदम जोश मे आ गया था..मेरे चूत को चाटने की स्पीड बढ़ गई जीभ से उनके दाने को भी मैं छेड़ रहा था..वो भी उभर कर ऊपर निकल आया था...मेरा चेहरा उनके जांघों के बीच मे था.. अचानक...उन्होंने मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच जोर से दबा लिया और आह्ह..ओओओह..हाय..ऊफ्फ.जैसी जोरो से चिल्लाने की आवाज़ .करते हुए अपनी चूत मेरे चहरे पर चिपकाने लगी..कुछ झटके लिए और मैंने मेरे मुँह मे उनकी चूत से गरम गरम कुछ लिसलिसा तरल पदार्थ आने लगा..जो की मेरे पूरे चहरे मे लग गया था मैंने भी उन्हें जोर से जकड लिया और जितना चाट सकता था पूरा चाट लिया..अब वो शांत हो गई..मेरे सिर को भी छोड़ दिया..और मेरी तरफ़ देख कर शर्माते हुए कहा "सॉरी" मैंने पूंछा "किस लिए सॉरी " उन्होंने कहा मेरा पूरा पानी मैंने तुम्हारे मुँह मे डाल दिया मैं तुमसे कह भी नही पाई की मैं अब झड़ने वाली हूँ ..क्या करूं आज कितने सालों के बाद चूत पर किसी मर्द ने हाथ लगाया है..मैं अपने आप को रोक नही सकी झड़ने से" मैंने कहा..मुझे तो ये बहुत अच्छा लगा.. . मैं तो फ़िर से ऐसा करना चाहूँगा..तुम्हारे चूत का पानी मुझे बहुत अच्छा लगा..उन्होंने कहा "संजू अब मत तड़पाओ और तुम्हारा ये मोटा लंड मेरी चूत मे डाल के मेरी अच्छे से चुदाई करो..तभी मेरे चूत के अन्दर की आग बुझेगी जो तुमने आज दोपहर से लगाई है.." मैंने पूंछा "दोपहर से?"हाँ" जाते वक्त तुम्हारे इस मोटे लंड की झलक मैं देख चुकी थी..इसीलिये तो मैं फ़िर से वापस आई..और तुम्हे बाथ रूम मे भी इसी लिए बुलाया " मैंने पूंछा फ़िर वहाँ से भाग कर क्यों आ गई..?" "वो तो तुम्हे और भड़काने के लिए आई." उसने कहा.."लेकिन अब तुम ये मोटा और लंबा लंड मेरी चूत मे डाल दो."मैंने उससे कहा की अब वो पेट के बल लेट जाए और उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दिया..उसकी गांड पीछे से ऊपर उठ गई थी..क्या नितम्ब और गांड थे..मैं तो गांड पर हाथ फेरने लगा..उसे चूमा..फ़िर गांड के छेद पर भी किस किया..जीभ से उसकी पीठ और दोनों नितम्बो के बीच की दरार मे गिला करने लगा..वो भी गरम होने लगी थी..मैंने उसके बालों को हटा कर गर्दन के पास चूमा और जीभ से छठा भी फ़िर उसके कान के नीचे और कान पर भी ऐसा ही किया..वो कसमसाने लगी मैं नीचे आया और गांड से होते हुए उसकी चूत को सहलाया..उन्होंने अपने घुटने थोड़े मोड़ लिए जिससे चूत पीछे की ओर उभर आई...अब वो डॉगी स्टाइल मे थी मैंने उनके गोरे गोल्गोल नितम्बो को दोनों हाथों से पकड़ा ..दबाया फ़िर गांड के छेद मे जीभ लगाया और अन्दर करने लगा..वो थोड़ा हिली..और आह..इश..स्.स्.स्.स् मैंने वह चाटना शुरू किया वह का भाग बड़ा ही नमकीन था शायद पसीने की वजह से ..मैंने गांड के छेद को फैलाया..और उस छोटे से गुलाबी छेद मे जितना हो सके मैंने जीभ अन्दर कर दिया..अब उसने चिल्लाते हुए कहा तुम्हे मेरी गांड पसंद है तो मुझे पहले चोद क्यों नही लेते.... तुम मेरी गांड को चाटो लेकिन मेरी चूत मे ऊँगली करो..बहुत खुजलाहट हो रही है ..मैंने उनके कहे अनुसार अपनी एक ऊँगली उनके चूत मे डाल दी..चूत से अभी भी रस निकल रहा था उसकी को मैं गांड के छेद मे लगा कर चाट रहा था..और उनके चूत के दाने को भी मसल रहा था..हम दोनों ही काफी गरम हो चुके थे..उसने कहा संजू मेरी गांड मारोगे ? नेकी और पूंछ पूछ मैंने कहा हाँ..उन्होंने कहा तुम पहली बार कर रहे हो इसलिये पहले मेरी कुंवारी गांड को खोलो फ़िर मेरी चूत का मजा लेना..तुम अपनी मम्मी के ड्रेसिंग टेबल से वसलिन ले आओ और अच्छे से तुम्हारे लंड पर और मेरी गांड के छेद मे लगाओ " मैंने वैसा ही किया..उसने मेरे लंड को चूमा और अच्छे से वसलिन लगाया फ़िर मैंने उसे उसी पोजीशन मे किया और मेरे लंड के सुपाडे को गांड के छेद पर टिका के एक धक्का दिया चिकनाई की वजह से लंड का सुपाडा तो अन्दर चला गया लेकिन मौसी चीख . उठी..आह्ह ..मार डाला..उफ़ मर गयी..कितना मोटा है..इतने जोर से डालते है. मैंने उनके कमर को पकड़ रखा था और उनकी चीख के बावजूद मैंने दुसरे धक्के मे पूरा लंड जड़ तक अन्दर घुसेड दिया..मौसी की आंखों से आंसू निकल आए..चेहरे पर दर्द था और चीख अलग..ऊह माँ ..थोड़ा रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया..मैंने एक हाथ से उनके चुन्चियो को भी दबाना जारी रखा और फ़िर उनकी चूत मे ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा..मैंने धक्को की स्पीड बढ़ा दी..मेरे हर धक्के से उसकी गांड कंप जाती थी और मैं लंड को बाहर खीच कर पूरा अन्दर पेल रहा था..वो इससे कभी कभी चिल्ला उठती थी..तब मैं अपनी स्पीड कुछ धीमी कर देता..लेकिन मैं घमासान धक्के लगाये जा रहा था..वो सिर्फ़ आह..ओओओह. .मम्..मम्.म.म. इश..स्.स्.स्. की आवाज़ निकल रही थी..मैंने महसुसू किया की उनकी चूत मेरे ऊँगली को कस के जकड रही है..और फ़िर क़रीब 5 मिनिट बाद ही मौसी ने मेरे हाथ मे ही पानी छोड़ दिया..मेरा पूरा हाथ भर गया..मैंने उसे चाट लिया और तेजी से गांड मारना जारी रखा..लेकिन वो थोड़ी देर शांत रही और कहा.."संजू..अब मैं लंड को चूत मे लूंगी..मैंने कहा ठीक है ..मैंने लंड बाहर निकाला तो उन्होंने कहा "अब तुम लेटो,..उन्होंने पास पड़ी अपनी पैंटी से मेरे लंड को पोंछा और उसे मुह मे ले लिया.मुह मे ले कर उसे चूसने लगी..दरअसल गांड मरते हुए मैं भी झड़ने के क़रीब आ चुका था, वो इस तरह से चाट और चूस रही थी की मैं अपने को नही रोक पाया और उनके सिर को पकड़ कर पूरा लंड अन्दर गले तक पहुंचाने लगा..मैंने कहा..मेरा.निकलने वाला है..ओह..ओह..और जैसे ही मेरी पिचकारी की धार उनके गले तक पहुँची उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाला लेकिन अब तो एक के बाद एक जोरदार पिचकारी निकल रही थी जो उनके पूरे चेहरे पर फ़ैल गई... थोड़ा तो उन्होंने चाट लिया और फ़िर अपने मुँह को पोंछा..मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई.. और कहने लगी..तुम्हारा तो माल भी बहुत निकलता है..और कितना गरम है..उन्होंने मेरे लंड को नही छोड़ा ..हाथ मे ले कर मसलती रही..ऐसे ही २० मिनिट हम सोये रहे..फ़िर उन्होंने उठ कर मेरे लंड को फ़िर से चाटना शुरू कर दिया..मैंने भी उनकी चूत के दाने को और चूत को छेड़ना शुरू कर दिया..निपल को मुह मे लिया..दबाया..इस तरह वो फ़िर से गरम होने लगी और मेरा लंड फ़िर से चुदाई के मैदान मे कूद पड़ा.. अब उन्होंने पास पड़ी शीशी से .फ़िर वसलीन ले कर लगाया....मैंने पूंछा अब क्यों ? उन्होंने कहा "मुझे क्या मरना है बिना वसलीन लगाए ये मोटा और लंबा लंड अन्दर लेकर..ये वैसे ही आज मेरी चूत को फाडेगा ..लेकिन मैं बेचैन हूँ..इसे मैं अपनी मरजी के मुताबिक़ अन्दर लूंगी"..और मुझे पीठ के बल लिटा दिया .फ़िर मेरे कमर के दोनों तरफ़ पैर रख कर चूत को मेरे चिकने लंड के ऊपर लाई और अहिस्ता उस पर बैठ गई मैंने उनके मम्मे हाथ मे लिए..मैं अधलेटा हो गया ताकी चूचियों का मजा ले सकूं..मैं हैरान था की मौसी जो की इतनी शांत रहती थी आज इस तरह क्यों कर रही है..असल मे चुदवाने या चोदने की इच्छा हर मर्द और औरत मे रहती है..सिर्फ़ उसे सही तरीके से गरम करना या तैयार करना ही कठिन है..और मैंने अनजाने मे ये काम कर लिया था.., वो मेरे लंड पर बहुत धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी..अभी आधा लंड भी अन्दर नही लिया था..ज़्यादातर वो लंड को चूत के दाने पर ही घिस रही थी..उनकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था..इसलिए लंड भी थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था लेकिन वो पूरा लंड अन्दर लेने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी..लंड भी चूत मे एकदम कसा कसा जा रहा था..अब मैंने उनके चूतादों के नीचे हाथ लगा कर उसे कस के पकड़ा और जब वो नीचे की ओर आई तो मैंने अपनी कमर जोर से उछाल दी और गप्प से पूरा लंड अन्दर चला गया और सीधा उनके बच्चेदानी से टकराया..वो भी अपना बैलेंस नही सम्हाल पायी और उनकी गांड का पूरा वजन मेरे लंड पर आया..जिससे लंड और अन्दर तक धंस गया,,और उनके मुह से आइईई...मर गई.ई.ई.ई.ई..ई.ई.ई.ई. की जोरदार चीख निकली..वो मेरे सिने पर लेट गई..मैंने उन्हें अपने बाँहों मे जकड लिया..अब पूरा लंड अन्दर घुस चुका था..मैंने ही पहले नीचे से कमर हिला कर धक्के लगाने शुरू किए..और फ़िर वो भी अपने पंजो के बल बैठ गई और लंड को अन्दर बाहर करने लगी..बीच बीच मे मैं जोर से नीचे से धक्का देता तो लंड फ़िर बच्चेदानी से टकरा जाता था..इस तरह क़रीब १५ मिनिट मे ही मौसी ने फ़िर से अपने पानी से मेरे लंड को स्नान करवाया मैंने उनकी कमर पकड़ कर उन्हें अपने नीचे ले लिया चूंकि वो झाड़ चुकी थी इसलिये थोड़ी देर वैसी ही शांत रही फ़िर उसने भी कमर हिलाना शुरू किया..मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया चूत उभर आई , उसके पैरों को सिर तक मोड़ दिया और उसके बाद मेरे तूफानी दक्कों ने मौसी की चूत के चक्के चुदा दिए..मैं पहले दो बार झाड़ चुका था इसलिए अब मैं जल्दी झड़ने वाला नही था..मेरे धक्को के बीच फ़िर से मौसी ने मुझे चिपटा लिया और आह्ह..संजू..मैं झाड़ गयी..ओह..चो..चोद मुझे..फाड़ दे मेरी चूत को..अब मेरे लंड मे तनाव अने लगा था..वो फ़िर से फूलने लगा था..मैंने कहा मैं झड़ने वाला हूँ..बाहर निकालू या अन्दर ही डालूँ..उसने कहा..अन्दर ही डालो..मैंने बहुत दिन से चूत के अन्दर नही डलवाया है..और इतने अन्दर तक तो आज तके मेरी चूत मे कोई चीज़ नही घुसी.. मैंने कहा..प्रेगनंट..हो गई तो..? " उसकी फिकर तुम मत करो मैं गोली खा लूंगी..तुम चोदो..आह्ह..उफ्फ्फ. क्या मस्त लंड है..संजू तुम मेरे घर आ कर मुझे जब चाहे चोद सकते हो..मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूँ.."और ना जाने क्या क्या बोल रही थी..मैं तो धक्के लगाने मे मशगूल था..और फ़िर मेरी पूरी ताकत सिमट गई और पूरा लंड जड़ तक अन्दर डाल कर मैं उसके छाती पर लेट गया..और मेरे लंड ने अपना फौवारा उसकी चूत मे छोड़ दिया..पूरी चूत भर गई..उसकी गरमी से मौसी भी एक बार फ़िर मुझसे चिपक कर झड़ने लगी..इस तरह अब हम दोनों एक साथ ही झड़े ..क़रीब बीस मिनिट हम ऐसे ही सोये रहे मौसी ने कहा संजू मुझे अब जाना है..चलो उठो..मैं उठा और मैंने लंड को , जो की अब सिकुड़ गया था ..बाहर निकाला..मैंने देखा उनकी चूत जो पहले सिर्फ़ एक दरार थी अब खुल गई थी और उसने से मेरा और उसका दोनों का पानी बह कर उसकी गांड से होते हुए चादर पर टपक रहा था..उसके बाद हम दोनों ही उठ कर बाथरूम मे गए वहाँ से आकार उसने पानी गरम किया और फ़िर से दोनों ने एक साथ नहाया..और नहाते वक्त मैंने कमोड के ऊपर बैठ कर उसे मेरे लंड की सवारी करवाई..उसे ये बहुत अच्छा लगा..दोनों ने एक दुसरे को अच्छे से साबुन से नहलाया..फ़िर पोंछा..बाद मे उसने अपने कपड़े वैसे ही एक थैली मे भरे और मम्मी की साड़ी पहन कर चली गई..जाते वक्त उसने फ़िर से कहा की मेरे घर आ कर तुम मुझे जब चाहे तब चोद सकते हो..और ऐसे ही चुदाई मे वो एक बार गर्भवती हो गयी..बाद मे उन्होंने कहा की इसे मैं जन्म दूँगी ये तुम्हारे धमाकेदार चुदाई की निशानी है..वो दुसरे शहर मे एक साल तक जा कर रही और बाद मे मेरे बेटे को साथ ले कर आयी...शायद मेरे मम्मी और डैडी को ये बात उसने बता दी थी इसलिए कभी कभी वो बाहर जाते वक्त मुझसे कहते आज रेखा को बुला लेना..