गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

ये कैसे रिश्ते............

दोस्तो .ये कहानी आज से क़रीब तीनसाल पहले की है। तब मै एम ऐ के अन्तिम वर्ष मे था, उस दिन रविवार था मेरे माता पिता और बहिन एक रिश्तेदार की यहाँ जाने वाले थे..मै उनके साथ नही गया..क्युकि मेरे टेस्ट चल रहे थे..वैसे पेरी तय्यारी पूरी थी..और ना जाने का कारण दूसरा ही था। दरअसल पिछले तीन दिनों से मै अपने लंड मे बहुत तनाव महसूस कर रहा था.. मेरे क़रीब सभी दोस्तों की गर्ल फ्रेंड थी और वो सेक्स का मजा भी लेते थे..लेकिन मै थोड़ा डरपोंक किस्म का था..इसलिए किसी लड़की से मेरी दोस्ती नही थी..और बाहर सेक्स करके बीमारी का खतरा था..सो मै उस दिन घर पर रूका .सबके जाते ही मै विडियो शॉप से एक इंडियन ब्लू फ़िल्म ले आया..लौटते वक्त अचानक बारिश शुरू हो गई मै पूरा भींग गया ..घर पहुंच कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए..और बिल्कुल नंगा होकर फ़िल्म चालू कर दी..फ़िल्म इंडियन थी और उसमे नायिका भी देसी थी..साड़ी वाली फ़िल्म के शुरू मे चूमा चाटी के बाद फ़िल्म के हीरो ने लड़की की साड़ी खोलनी शुरू की..ये मेरा सबसे प्यारा काम था..मुझे साड़ी वाली औरतों को देख कर ज्यादा लंड सनसनाता है..फ़िल्म मे उस लड़की की बहुत अच्छे से चुदाई दिखाई थी जिसे देख कर मेरा लंड भी फन फनाकर उछल रहा था..मै उसे हाथ से सहलाता रहा..इसी तरह पूरी पिक्चर मैंने देख ली.. अब मै अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था..उसी वक्त दरवाजे की बेल बजी..मै डर गया..जल्दी से टीवी बंद किया मेरा बाथ रॉब पहना और लंड को दबाते हुए दरवाजे के पास आया...फ़िर दरवाजा खोला..दरवाजा खोलने के बाद मेरे होश उड़ गए..सामने मम्मी की कजिन याने मेरी मौसी खड़ी थी..शायद वो कही आस पास ई थी और बारिश मे भीग गई थी..उनकी उमर ज्यादा नही सिर्फ़ ३८ साल की थी..लेकिन वो उतनी लगती नही थी..मेरे साथ तो उनका मजाक का भी रिश्ता था..उनकी १२ साल की एक लड़की थी और वो ख़ुद तलाकशुदा थी..वैसे तो मम्मी की बहिन होने के नाते मेरी मौसी ही थी..लेकिन आज उन्होंने हरे रंग की जो शिफान की साड़ी पहनी हुयी थी वो पानी से उनके पोर्रे बदन से चिपकी हुयी थी और उनके छरहरे बदन को उजागर ही कर रही थी..शरीर हा हर कटाव हर गोलाई साफ नजर आ रही थी..और इसने मेरे लिए आग मे घी का काम किया.., उन्होंने कहा वो किस इंटरव्यू मे जा रही है.. और ये नौकरी उनके लिए बहुत जरुरी है..इसलिये वो कपड़े बदलना चाहती है..उनके ब्लाउज के अन्दर से काली ब्रा साफ नजर आ रही थी, वैसे तो उनके मम्मे मुझे कभी ख़ास नही लगे लेकिन आज वो मुझे बुला रहे थे..ब्लाउज पुरा गीला हो चुका था, और चुन्चियो के निपल भी अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहे थे..मेरा लैंड काबू से बाहर होता जा रहा था..जिसे मैंने दबाये रखा था..वो सीधी बाथरूम की तरफ़ जाने लगी..मैंने देखा उनके मांसल नितम्ब मटकते हुए हिल रहे थे..गांड का कटाव उफ़.. और वो पतली सी कमर..दिल कर रहा था अभी जा के पीछे से जकड लूँ..और चूमते हुए उन्हें बेडरूम मे ले जाकर जबर्दस्त चुदाई कर दूँ..मई जनता था की मेरे मन मे ग़लत और गंदे ख्यालात आ रहे है..लेकिन..शायद उन्हें भी मेरे सामने इस तरफ़ थोड़ी शर्म आई होगी..लेकिन लेकिन मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था..अब तो सिर्फ़ लंड ही सोच रहा था..और उसे चूत के सिवा कुछ नही सूझ रहा था.. तो क्या ग़लत है और क्या सही ये मुझे समझ मे नही आ रहा था..जैसे ही उन्होंने बाथरूम मे जा कर दरवाजा बंद किया..मैं सोचने लगा की मौसी नंगी होने से कैसी दिखाती होगी..और ये सोच कर ही लंड उछल पडा..किसी तरह उसे दबाया फ़िर आंखो के सामने उनकी नोंकदार चुंचिया आ गई..दिल कर रहा था की काश उन्हें पीछे से पकड़ लूँ और सामने हाथ बढ़ा कर मम्मे दबाऊ..फ़िर बिस्तर पर नंगी कर के अच्छे से चुदाई करूं ..मैंने आज से पहले उन्हें इस नज़र से कभी नही देखा था..आज मैं सारे रिश्ते भूल गया था मेरे सामने वो एक मादा थी और मैं एक कामांध नर जो उन्हें मसल के चोदना चाहता था..मेरी सोच जारी थी..तभी वो बाथरूम से सिर्फ़ एक टॉवेल लपेट कर बाहर आई..जो की काफी छोटा था..और हमेशा बाथरूम मे टंगा रहता था..उसमे उनकी आधी चुंचिया ही ढँक पाई थी..उसके बीच की घाटी साफ दिखाई दे रही थी..और नीचे कमर से थोड़ा नीचे का भाग ढंका हुआ था.उनकी चूत से थोड़ा ऊपर तक..उनकी चिकनी और बाल रहित जान्घे और पैर एकदम खुले थे..मैं इस ख़्याल से ही रोमांचित हो गया की घर मे हम दोनों हे अधनंगे और अकेले थे..उनके बदन के हर अंग से सेक्स बरस रहा था..मैं मंत्रमुग्ध हो कर उनके इस अधनंगे हुस्न को निहार रहा था.. उनकी गोरी त्वचा और उसकी चिकनाई जैसे सिल्क का एक चादर हो..वो मेरे सामने खड़ी हुई और टॉवेल को एक हाथ से पकड़ा फ़िर मुझसे कहा की ,अम्मी के कप बोर्ड से एक ब्लाउज , ब्रा और साड़ी उन्हें निकाल के दूँ..जहाँ खड़ी हो कर वो मुझसे बात कर रही थी वहीँ कोने मे एक लंबा मिरर लगा हुआ था और मैं उसने उनके दूधिया चूची को साइड से देख रहा था..मुझे उनके गहरे भूरे रंग के निपल भी दिख रहे थे..मैंने देखा उनके मम्मे एकदम एवरेज साइज़ के थे..और अभी तक लटके नही थे.. लेकिन बहुत ही गोलाई मे थे..मैंने उन्हें पूंछा और कुछ चाहिए..? उन्होंने कहा उन्हें पैंटी भी चाहिए..लेकिन मेरी मम्मी की पैंटी उन्हें फीट नही होगी क्युकी मम्मी की गांड उनसे बहुत बड़ी है..चूँकि वो मुझसे खुली बात करती थी इसलिए ये बात उन्होंने हंसते हँसते मुझसे कही.और वो मुझे अभी भी अपने भांजे की नजर से देख रही थी..लेकिन मैं आज उन्हें मौसी की नजर से नही देख पा रहा था..मेरे सामने तो बस एक औरत का जिस्म था आधा नंगा उफ़ उनके बदन की को मादक गोलाईयां नितम्बो का वो उभरापन स्तनों के बीच की घाटी..और केले के खंभे जैसी चिकनी गोरी गोरी जांघें ..ये नज़ारा देख कर मेरा लंड काबू से बाहर होता जा रहा था.. उस आईने मे मैं उन्हें नंगा ही कर चुका था..उन्हें मैं इस तरह देख रहा हु ये शायद अभी तक उन्होंने सोचा भी नही था..मैं अपनी मम्मी के कपबोर्ड के तरफ़ गया और साड़ी और ब्लाउज तो निकला लेकिन ब्रा मुझे वहाँ नही मिली..मैंने उनके तीन ब्रा धुलाई के कपडो के साथ देख चुका था..दरअसल मम्मी अपनी पैंटी और ब्रा किसी दुसरी जगह रखती थी जो मुझे मालूम नही थी..मैंने ऊपर के खाने मे टटोला तो उनकी पुरानी ब्रा और कुछ पुराने कपडे दिखे, जो की वो कभी पहनती नही थी,और ये ब्रा बहुत ही पतले कपडे की थी उसका स्ट्रेप बहुत छोटा सा था और उसका एलास्टिक भी ख़राब हो चुका था..., मैंने वो मौसी को दिए मैं बाहर आ गया..थोड़ी देर मे मौसी ने मुझे बुलाया और दिखने लगी की वो ब्रा उनके शरीर पर कैसी लग रही है..उन्होंने ब्रा पहन रखी थी..और हंस रही थी..असल मे वो उन्हें ढीली हो रही थी और उनकी चुन्चियों से नीचे लटक रही थी..पूरी चुन्ची खुली थी सिर्फ़ घुन्डियाँ ढकी हुयी थी...वो भी ब्रा के उपरी भाग के टिके हुए रहने के कारण ये देखकर मैं सच मे गरम हो गया..और लंड लोहे के रॉड जैसा सख्त हो गया.. मेरे होंतो पर नकली हँसी लाते हुए मैं खडा रहा..उन्होंने कहा की पहले मेरी मम्मी और उनके ब्रा साइज़ एक से थे..उनके 36 C थे मौसी के 36 D उन्होंने हँसते हुए कहा "शादी के बाद तुम्हारी मम्मी ने बहुत ज्यादा सेक्स का मजा लिया लगता है..इसीलिये उसके साइज़ 42D हो गया है " ये सुन कर मैं एकदम संन्न हो गया क्युकी आज से पहले इस तरह की बात उन्होंने मेरे साथ कभी नही की थीवो शायद भूल गई की वो आधी नंगी खड़ी है और मैं एक जवान लड़का हूँ...मेरे मुह मे पानी आने लगा उनका ये हुस्न देख कर..थोड़ी देर बाद मैं अपने बहन के कप बोर्ड से ३४ साइज़ के ब्रा उन्हें ला दी उन्होंने उसे मेरे सामने ही पहना और कहा "ये फ़िर भी ठीक है, क्युकी ये कम से कम इन्हे पकड़ कर तो रख सकती है, और जानते हो मुझे ऐसा लग रहा जैसे कोई इन्हे दबा रहा है.." ये सब सुन कर तो मैं अपने आप पर काबू नही रख पा रहा था..मैं मेरे लंड के झटके अब नही सम्हाल पा रहा था. मेरा 7.5 इंच का लंड मैं कैसे छुपाऊं ...और मैंने सिर्फ़ मेरा बाथरोब लपेटा हुआ था.. जो की सामने से खुला हुआ था..मैंने दोनों पैरों को एक के ऊपर एक रखा और सोफे पर बैठ गया..अब उह्नोने कपडे पहन लिए और जाने के लिए तैयार हुई और मुझसे कहा की दरवाजा बंद कर लो..जैसे ही मैं उठा..मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया..और उसने मेरे कड़क लंड को देखा जो की उनके तरफ़ निशाना ले रहा था..मैं थोड़ा सा निराश हो गया..उन्होंने कहा.. कोई बात नही अब मैं जा रही हूँ तुम अकेले हो चाहो तो दिन भर नंगे रहो कोई नही देखेगा..और एक अज्ज़ब से मुस्कराहट बिखेर कर चली गयी.जैसे ही वो निकल गई मैंने दरवाजा बंद किया और फ़िर से वोही फ़िल्म चालू कर दिया और अपने लंड को हिलाने लगा..और फ़िर आज तो मैंने एक औरत की चूची और उसके नितम्ब और चिकने सेक्सी पैरो को देखा था..इसलिये मेरा लंड और ज्यादा कड़क हो रहा था, जैसे ही मैं झड़ने के क़रीब आया मुझे याद आया की मौसी के कपडे तो बाथरूम मे ही है.. मैंने लंड हिलाना बंद किया ..मेरे भीतर क्या हो रहा था ये आप समझ सकते है..इतने बार झड़ने के क़रीब आकर मैंने मूठ मरना रोका..मेरे भीतर लावा भड़क रहा था बाहर निकलने के लिए..मैं जल्दी से बाथरूम मे गया..और उसकी पैंटी और ब्रा को ले कर आया मैंने पैंटी को सूंघा बड़ी ही कामोत्तेजक सुगंध थी. उसमे बीच मे एक पीलापन था.जिस जगह उसकी चूत और गांड रहती है वहीँ पर..ब्रा मे भी पसीने की और पाउडर की मिली जुली खुशबू थी..मुझे ऐसा लगा मैं सच मे उसके मम्मे की खुशबू ले रहा हूँ.. मैंने उसकी पैंटी पहन ली उसके उस पैंटी के अन्दर मेरा खड़ा लंड टेंट बनाये हुए था..और वो मैंने आईने मे देखा..और मैं उसे वैसे ही मसलने लगा ..और उसकी पैंटी मे मैंने अपना पूरा माल निकाल दिया..पूरी पैंटी भर गई...मैं काफी देर से उत्तेजित था..इसलिये मेरा माल भी बहुत सारा निकला.. थोड़ी देर मैं वही पलंग पर लेटा रहा ..लेकिन उठाने के बाद मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई और ग्लानी भी हुई..मुझे डर लगने लगा...मैं नही जनता था की पैंटी की ये हालत देख कर मौसी क्या सोचेंगी..क्या मेरे मम्मी डैडी से सब कह देंगी या मुझे झापड़ मरेंगी..और फ़िर कभी बात नही करेंगी..ये सब ख़्याल मेरे दिमाग मे आ रहे थे..मैंने दोनों को (पैंटी और ब्रा) पलंद के ऊपर सूखने के लिए रखे और पंखा तेज चला दिया..तभी मेरे मम्मी का फोन आया..उन्होंने सब ठीक है या नही ये पूंछा फ़िर कहा की वो लोग कहीँ और भी जाने वाले है और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है इसलिये रात मे देर से लौटेंगे इसके बाद मैं अपनी बेवकूफी के बारे मे सोचने लगा..क़रीब एक घंटे के बाद मौसी वापस आई. वो काफी खुश थी.उन्होंने बताया की उन्हें वो जॉब मिल गया है..मैंने उनकी तरफ़ देखा तो उनके ऊपर कुछ कीचड के छींटे दिखे..मैंने पूंछा ये कैसे हुआ ? उन्होंने कहा ..एक मोटरसाइकिल वाले ने तेजी से जाते हुए ये किया है..और अब वो नहाना चाहती है.उन्होंने कहा की वो गरम पानी से नहायेंगी क्युकी बारिश गिरने से माहौल भी ठंडा हो गया था..इसलिये गिज़र चालू कर दूँ मैंने कहा गिज़र तो ख़राब है..उन्होंने कहा मैं बाथरूम मे हूँ तुम गैस पर पानी गरम कर के मुझे ला दो. मैंने गैस पर पानी गरम किया और फ़िर एक बाल्टी मे दाल कर बाथरूम के दरवाजे को खटखटाया ..उन्होंने दरवाजा खोला और कहा की अन्दर ला के रख दो..क्युकी मेरे कमर मे दर्द है और मैं बाल्टी नही उठा सकती..अब मेरा लंड फ़िर से खड़ा होने लगा..मुझे मालूम था की वो अन्दर किस हालत मे होंगी..और बाथ रूम का दरवाजा खोलते ही बांये तरफ़ कमोड था और कमोड की तरफ़ मुह किया तो दाहिनी तरफ़ नहाने की जगह थी..इसका मतलब मुझे बाल्टी अन्दर तक ले जाना था.. मैंने फ़िर पूंछा क्या मैं अन्दर आ जाऊं ? उन्होंने कहा ये तो तुम मेरी मदद करने के लिए कर रहे हो..मैं अन्दर घुसा..ऊफ्फ वो अन्दर पूरी नंगी थी..लेकिन दुसरी तरफ़ के दीवार के पास खड़ी थी..उनका चेहरा दीवार की तरफ़ था और एक हाथ से वो अपनी गांड के छेद को ढांके हुई थी..मैं मुड़ा लेकिन उनके मस्त सेक्सी निताम्बो को देखने से ख़ुद को नही रोक पाया..अब मैंने सोच लिया की अगर आज नही तो कभी नही..मैं अपने घुटनों के बल झुका और मेरा एक हाथ उनके चिकने गोरे जांघों पर फेरते हुए उनकी चूत तक सहलाया..उनकी चूत एकदम चिकनी थी..एक भी बाल नही था..और फूली हुयी चूत थी..मेरे हाथों ने चूत की दरार को महसूस किया..बिल्कुल किसी कुंवारी की कसी हुयी अनचुदी चूत जैसी चूत थी उनकी..ये सब मैंने अचानक किया और उन्हें कुछ सोचने का टाइम भी नही मिला..उन्हें तो जैसे बिजली का झटका लगा और क़रीब १० सेकेंड के बाद उनके मुह से सीत्कार निकली. सी सी स् .स्.स्.स्.स्..स्.और उनकी साँस भारी हो गई.. उन्होंने सिर्फ़ आह्ह ..संजू..उफ़..ना..कर..इतना ही कहा..मैं सहलाता रहा अब उन्होंने पीछे देखा और कहा संजू मैं तेरी मौसी हूँ..ये ठीक नही है..आह्ह्ह.., लेकिन मैंने उनकी बात को सुनी अनसुनी कर दी.. उन्होंने मुझे हटाने का कोई प्रयास नही किया..लेकिन मेरा सहस बढ़ते देख उन्होंने अपनी गांड से मुझे पीछे धकेला मैं बाथ रूम के फर्श पर गिर पड़ा और तब मैंने उनकी मस्त निताम्बो और गांड का पूरा नज़ारा देखा..नितम्ब जैसे दो पहाड़ थे और और गांड का गुलाबी छेद उसके बीच मे , उसपर चारों तरफ़ थोड़े बाल थे..लेकिन वो हलके हलके से.मुझे धकेल कर वो रुकी नही.. बाथरूम से निकलकर वो सीधे उस कमरे मे आई और बेड पर बैठ कार अपनी पैंटी उठाकर पहनने लगी, मैं अब काफी गरम हो चुका था और इस अधूरे मोहीम मे खतरा भी था..किसी भी तरह मौसी की चुदाई तो करना ही था..मैंने अपना बाथरोब निकाल दिया और मेरा फनफनाता ७.५ इंच का लंड हिलाते हुए उनके पास पहुँचा , वो पैंटी पहनने के लिए झुकी थी..मैंने उन्हें वैसे ही बेड पर धकेल दिया अचानक हमले से वो बेड पर गिर पड़ी..उन्होंने पैंटी आधी ही पहनी थी सिर्फ़ घुटनों तक..मैंने दोनों हाथ पकड़ कर उन्हें बेड पर इस तरह लिटाया था की उनके पैर जमीन पर लटक रहे थे..और बाकी का हिस्सा बेड पर था..पीठ के बल ,,ओह्ह..मैंने अपनी जिंदगी मे पहली बार चूत के दर्शन किए..असली चूत..वैसे तो ब्लू फ़िल्म मे देख चुका था..लेकिन ये तो उनसे भी ज्यादा प्यारी चूत थी..एक नंगी चूत..मेरा लंड तो आपे से बाहर हो गया..थोड़ी देर पहले मैंने इसी चूत को सहलाया था..लेकिन तब मुझे सामने का ये खूबसूरत नज़ारा नही दिखा था..मैंने मेरा मुँह उनके मस्त चुंचियों के बीच मे घुसेड दिया..और मेरे नाक से उन्हें गुदगुदाने लगा वो अपने पैरो को जोर से पटकते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी..उसने कहा..संजू..ये ग़लत है..मैं तुम्हारी मौसी हूँ..मुझे ख़राब मत करो..लेकिन मैंने एक ना सुनी..अब मैंने उनके अंगूर जैसे निपल को मुँह मे ले लिया..और दोनों को बारी बारी से चूसने लगा..अब उनके पैर पटकने की स्पीड भी कम होने लगी थी..लेकिन वो कह रही थी..प्लीज़ संजू..आह्ह..मुझे छोड़ दो..उफ़..आह्ह.., अब मैंने उनके निप्पल को हलके से काटना शुरू किया दांत गडाते हुए.. अब वो भी गरम होने लगी थी..क्युकी उनके निपल अब कड़े होने लगे थे..और मैं मुँह मे ले कर चूसे जा रहा था..अब उन्होंने विरोध करना पूरी तरफ़ बंद कर दिया और आँख बंद कर के अआछ..ऊह्ह..चुस्सो..जोर से दबाओ..हाय..स्.स्.स्.स्.स्..संजू..जू.जू..और मेरा सिर अपने चूची पर दबाने लगी..थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरा सिर ऊपर किया और कहा..अब इन्हे चूसना बंद करो और मेरी चूत का ख़्याल करो.. .ये बहूत दिनों से प्यासी है..मैंने उन्हें ठीक से लिटाया..घुटने मोड़ दिए और उनके चूत पर मुँह रखा..आह्ह्हा क्या सुगंध और क्या स्वाद था..उनकी चूत ने जूस निकालना शुरू कर दिया था..और बहूत गीली थी..मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के फांक को फैलाकर अन्दर डाली ..चूत अभी भी गुलाबी थी..और एकदम टाईट जैसे ही मैंने जीभ अन्दर डाली (ये मैंने ब्लू फिल्मो से सिखा था) वो सिसिया उठी..हाय..उफ़..तुमने ये क्या कर दिया संजू....और मैं उनके चूत मे जीभ घुमा रहा था तभी उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया..और कहा..बाप रे..तुम्हारा तो बहुत लंबा और मोटा है..इतना लंबा तो तुम्हारे मौसा का भी नही था और न तुम्हारे डैडी का ..(मैं तो समझ नही पाया..तो क्या डैडी मे भी मौसी को चोदा है?) मैंने उनसे पूंछा तो उन्होंने कहा हाँ मेरी शादी के पहले एक बार तेरे डैडी ने मुझे चोदा था और इसी लिए स्नेह मेरे पेट मे थी शादी के वक्त और ये जानकर तेरे मौसा ने मुझे डाइवोर्स दिया लेकिन उसके बाद मैं आज चुदवा रही हूँ.." मैंने कहा इसीलिये तुम्हारी चूत इतनी टाईट है..उन्होंने कहा हाँ बेटे..लेकिन तेरा लंड तो मूसल है..इतना मोटा लंड..मैंने नही देखा कभी..और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खीचा मेरे लंड को चूमा और चाटा फ़िर अचानक मेरे सुपाडे को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी..अब हम 69 के पोज़ मे थे मैं पागलों की तरह उनकी चूत को चाट रहा था..लंड चटाने से मैं तो एकदम जोश मे आ गया था..मेरे चूत को चाटने की स्पीड बढ़ गई जीभ से उनके दाने को भी मैं छेड़ रहा था..वो भी उभर कर ऊपर निकल आया था...मेरा चेहरा उनके जांघों के बीच मे था.. अचानक...उन्होंने मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच जोर से दबा लिया और आह्ह..ओओओह..हाय..ऊफ्फ.जैसी जोरो से चिल्लाने की आवाज़ .करते हुए अपनी चूत मेरे चहरे पर चिपकाने लगी..कुछ झटके लिए और मैंने मेरे मुँह मे उनकी चूत से गरम गरम कुछ लिसलिसा तरल पदार्थ आने लगा..जो की मेरे पूरे चहरे मे लग गया था मैंने भी उन्हें जोर से जकड लिया और जितना चाट सकता था पूरा चाट लिया..अब वो शांत हो गई..मेरे सिर को भी छोड़ दिया..और मेरी तरफ़ देख कर शर्माते हुए कहा "सॉरी" मैंने पूंछा "किस लिए सॉरी " उन्होंने कहा मेरा पूरा पानी मैंने तुम्हारे मुँह मे डाल दिया मैं तुमसे कह भी नही पाई की मैं अब झड़ने वाली हूँ ..क्या करूं आज कितने सालों के बाद चूत पर किसी मर्द ने हाथ लगाया है..मैं अपने आप को रोक नही सकी झड़ने से" मैंने कहा..मुझे तो ये बहुत अच्छा लगा.. . मैं तो फ़िर से ऐसा करना चाहूँगा..तुम्हारे चूत का पानी मुझे बहुत अच्छा लगा..उन्होंने कहा "संजू अब मत तड़पाओ और तुम्हारा ये मोटा लंड मेरी चूत मे डाल के मेरी अच्छे से चुदाई करो..तभी मेरे चूत के अन्दर की आग बुझेगी जो तुमने आज दोपहर से लगाई है.." मैंने पूंछा "दोपहर से?"हाँ" जाते वक्त तुम्हारे इस मोटे लंड की झलक मैं देख चुकी थी..इसीलिये तो मैं फ़िर से वापस आई..और तुम्हे बाथ रूम मे भी इसी लिए बुलाया " मैंने पूंछा फ़िर वहाँ से भाग कर क्यों आ गई..?" "वो तो तुम्हे और भड़काने के लिए आई." उसने कहा.."लेकिन अब तुम ये मोटा और लंबा लंड मेरी चूत मे डाल दो."मैंने उससे कहा की अब वो पेट के बल लेट जाए और उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दिया..उसकी गांड पीछे से ऊपर उठ गई थी..क्या नितम्ब और गांड थे..मैं तो गांड पर हाथ फेरने लगा..उसे चूमा..फ़िर गांड के छेद पर भी किस किया..जीभ से उसकी पीठ और दोनों नितम्बो के बीच की दरार मे गिला करने लगा..वो भी गरम होने लगी थी..मैंने उसके बालों को हटा कर गर्दन के पास चूमा और जीभ से छठा भी फ़िर उसके कान के नीचे और कान पर भी ऐसा ही किया..वो कसमसाने लगी मैं नीचे आया और गांड से होते हुए उसकी चूत को सहलाया..उन्होंने अपने घुटने थोड़े मोड़ लिए जिससे चूत पीछे की ओर उभर आई...अब वो डॉगी स्टाइल मे थी मैंने उनके गोरे गोल्गोल नितम्बो को दोनों हाथों से पकड़ा ..दबाया फ़िर गांड के छेद मे जीभ लगाया और अन्दर करने लगा..वो थोड़ा हिली..और आह..इश..स्.स्.स्.स् मैंने वह चाटना शुरू किया वह का भाग बड़ा ही नमकीन था शायद पसीने की वजह से ..मैंने गांड के छेद को फैलाया..और उस छोटे से गुलाबी छेद मे जितना हो सके मैंने जीभ अन्दर कर दिया..अब उसने चिल्लाते हुए कहा तुम्हे मेरी गांड पसंद है तो मुझे पहले चोद क्यों नही लेते.... तुम मेरी गांड को चाटो लेकिन मेरी चूत मे ऊँगली करो..बहुत खुजलाहट हो रही है ..मैंने उनके कहे अनुसार अपनी एक ऊँगली उनके चूत मे डाल दी..चूत से अभी भी रस निकल रहा था उसकी को मैं गांड के छेद मे लगा कर चाट रहा था..और उनके चूत के दाने को भी मसल रहा था..हम दोनों ही काफी गरम हो चुके थे..उसने कहा संजू मेरी गांड मारोगे ? नेकी और पूंछ पूछ मैंने कहा हाँ..उन्होंने कहा तुम पहली बार कर रहे हो इसलिये पहले मेरी कुंवारी गांड को खोलो फ़िर मेरी चूत का मजा लेना..तुम अपनी मम्मी के ड्रेसिंग टेबल से वसलिन ले आओ और अच्छे से तुम्हारे लंड पर और मेरी गांड के छेद मे लगाओ " मैंने वैसा ही किया..उसने मेरे लंड को चूमा और अच्छे से वसलिन लगाया फ़िर मैंने उसे उसी पोजीशन मे किया और मेरे लंड के सुपाडे को गांड के छेद पर टिका के एक धक्का दिया चिकनाई की वजह से लंड का सुपाडा तो अन्दर चला गया लेकिन मौसी चीख . उठी..आह्ह ..मार डाला..उफ़ मर गयी..कितना मोटा है..इतने जोर से डालते है. मैंने उनके कमर को पकड़ रखा था और उनकी चीख के बावजूद मैंने दुसरे धक्के मे पूरा लंड जड़ तक अन्दर घुसेड दिया..मौसी की आंखों से आंसू निकल आए..चेहरे पर दर्द था और चीख अलग..ऊह माँ ..थोड़ा रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया..मैंने एक हाथ से उनके चुन्चियो को भी दबाना जारी रखा और फ़िर उनकी चूत मे ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा..मैंने धक्को की स्पीड बढ़ा दी..मेरे हर धक्के से उसकी गांड कंप जाती थी और मैं लंड को बाहर खीच कर पूरा अन्दर पेल रहा था..वो इससे कभी कभी चिल्ला उठती थी..तब मैं अपनी स्पीड कुछ धीमी कर देता..लेकिन मैं घमासान धक्के लगाये जा रहा था..वो सिर्फ़ आह..ओओओह. .मम्..मम्.म.म. इश..स्.स्.स्. की आवाज़ निकल रही थी..मैंने महसुसू किया की उनकी चूत मेरे ऊँगली को कस के जकड रही है..और फ़िर क़रीब 5 मिनिट बाद ही मौसी ने मेरे हाथ मे ही पानी छोड़ दिया..मेरा पूरा हाथ भर गया..मैंने उसे चाट लिया और तेजी से गांड मारना जारी रखा..लेकिन वो थोड़ी देर शांत रही और कहा.."संजू..अब मैं लंड को चूत मे लूंगी..मैंने कहा ठीक है ..मैंने लंड बाहर निकाला तो उन्होंने कहा "अब तुम लेटो,..उन्होंने पास पड़ी अपनी पैंटी से मेरे लंड को पोंछा और उसे मुह मे ले लिया.मुह मे ले कर उसे चूसने लगी..दरअसल गांड मरते हुए मैं भी झड़ने के क़रीब आ चुका था, वो इस तरह से चाट और चूस रही थी की मैं अपने को नही रोक पाया और उनके सिर को पकड़ कर पूरा लंड अन्दर गले तक पहुंचाने लगा..मैंने कहा..मेरा.निकलने वाला है..ओह..ओह..और जैसे ही मेरी पिचकारी की धार उनके गले तक पहुँची उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाला लेकिन अब तो एक के बाद एक जोरदार पिचकारी निकल रही थी जो उनके पूरे चेहरे पर फ़ैल गई... थोड़ा तो उन्होंने चाट लिया और फ़िर अपने मुँह को पोंछा..मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई.. और कहने लगी..तुम्हारा तो माल भी बहुत निकलता है..और कितना गरम है..उन्होंने मेरे लंड को नही छोड़ा ..हाथ मे ले कर मसलती रही..ऐसे ही २० मिनिट हम सोये रहे..फ़िर उन्होंने उठ कर मेरे लंड को फ़िर से चाटना शुरू कर दिया..मैंने भी उनकी चूत के दाने को और चूत को छेड़ना शुरू कर दिया..निपल को मुह मे लिया..दबाया..इस तरह वो फ़िर से गरम होने लगी और मेरा लंड फ़िर से चुदाई के मैदान मे कूद पड़ा.. अब उन्होंने पास पड़ी शीशी से .फ़िर वसलीन ले कर लगाया....मैंने पूंछा अब क्यों ? उन्होंने कहा "मुझे क्या मरना है बिना वसलीन लगाए ये मोटा और लंबा लंड अन्दर लेकर..ये वैसे ही आज मेरी चूत को फाडेगा ..लेकिन मैं बेचैन हूँ..इसे मैं अपनी मरजी के मुताबिक़ अन्दर लूंगी"..और मुझे पीठ के बल लिटा दिया .फ़िर मेरे कमर के दोनों तरफ़ पैर रख कर चूत को मेरे चिकने लंड के ऊपर लाई और अहिस्ता उस पर बैठ गई मैंने उनके मम्मे हाथ मे लिए..मैं अधलेटा हो गया ताकी चूचियों का मजा ले सकूं..मैं हैरान था की मौसी जो की इतनी शांत रहती थी आज इस तरह क्यों कर रही है..असल मे चुदवाने या चोदने की इच्छा हर मर्द और औरत मे रहती है..सिर्फ़ उसे सही तरीके से गरम करना या तैयार करना ही कठिन है..और मैंने अनजाने मे ये काम कर लिया था.., वो मेरे लंड पर बहुत धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी..अभी आधा लंड भी अन्दर नही लिया था..ज़्यादातर वो लंड को चूत के दाने पर ही घिस रही थी..उनकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था..इसलिए लंड भी थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था लेकिन वो पूरा लंड अन्दर लेने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी..लंड भी चूत मे एकदम कसा कसा जा रहा था..अब मैंने उनके चूतादों के नीचे हाथ लगा कर उसे कस के पकड़ा और जब वो नीचे की ओर आई तो मैंने अपनी कमर जोर से उछाल दी और गप्प से पूरा लंड अन्दर चला गया और सीधा उनके बच्चेदानी से टकराया..वो भी अपना बैलेंस नही सम्हाल पायी और उनकी गांड का पूरा वजन मेरे लंड पर आया..जिससे लंड और अन्दर तक धंस गया,,और उनके मुह से आइईई...मर गई.ई.ई.ई.ई..ई.ई.ई.ई. की जोरदार चीख निकली..वो मेरे सिने पर लेट गई..मैंने उन्हें अपने बाँहों मे जकड लिया..अब पूरा लंड अन्दर घुस चुका था..मैंने ही पहले नीचे से कमर हिला कर धक्के लगाने शुरू किए..और फ़िर वो भी अपने पंजो के बल बैठ गई और लंड को अन्दर बाहर करने लगी..बीच बीच मे मैं जोर से नीचे से धक्का देता तो लंड फ़िर बच्चेदानी से टकरा जाता था..इस तरह क़रीब १५ मिनिट मे ही मौसी ने फ़िर से अपने पानी से मेरे लंड को स्नान करवाया मैंने उनकी कमर पकड़ कर उन्हें अपने नीचे ले लिया चूंकि वो झाड़ चुकी थी इसलिये थोड़ी देर वैसी ही शांत रही फ़िर उसने भी कमर हिलाना शुरू किया..मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया चूत उभर आई , उसके पैरों को सिर तक मोड़ दिया और उसके बाद मेरे तूफानी दक्कों ने मौसी की चूत के चक्के चुदा दिए..मैं पहले दो बार झाड़ चुका था इसलिए अब मैं जल्दी झड़ने वाला नही था..मेरे धक्को के बीच फ़िर से मौसी ने मुझे चिपटा लिया और आह्ह..संजू..मैं झाड़ गयी..ओह..चो..चोद मुझे..फाड़ दे मेरी चूत को..अब मेरे लंड मे तनाव अने लगा था..वो फ़िर से फूलने लगा था..मैंने कहा मैं झड़ने वाला हूँ..बाहर निकालू या अन्दर ही डालूँ..उसने कहा..अन्दर ही डालो..मैंने बहुत दिन से चूत के अन्दर नही डलवाया है..और इतने अन्दर तक तो आज तके मेरी चूत मे कोई चीज़ नही घुसी.. मैंने कहा..प्रेगनंट..हो गई तो..? " उसकी फिकर तुम मत करो मैं गोली खा लूंगी..तुम चोदो..आह्ह..उफ्फ्फ. क्या मस्त लंड है..संजू तुम मेरे घर आ कर मुझे जब चाहे चोद सकते हो..मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूँ.."और ना जाने क्या क्या बोल रही थी..मैं तो धक्के लगाने मे मशगूल था..और फ़िर मेरी पूरी ताकत सिमट गई और पूरा लंड जड़ तक अन्दर डाल कर मैं उसके छाती पर लेट गया..और मेरे लंड ने अपना फौवारा उसकी चूत मे छोड़ दिया..पूरी चूत भर गई..उसकी गरमी से मौसी भी एक बार फ़िर मुझसे चिपक कर झड़ने लगी..इस तरह अब हम दोनों एक साथ ही झड़े ..क़रीब बीस मिनिट हम ऐसे ही सोये रहे मौसी ने कहा संजू मुझे अब जाना है..चलो उठो..मैं उठा और मैंने लंड को , जो की अब सिकुड़ गया था ..बाहर निकाला..मैंने देखा उनकी चूत जो पहले सिर्फ़ एक दरार थी अब खुल गई थी और उसने से मेरा और उसका दोनों का पानी बह कर उसकी गांड से होते हुए चादर पर टपक रहा था..उसके बाद हम दोनों ही उठ कर बाथरूम मे गए वहाँ से आकार उसने पानी गरम किया और फ़िर से दोनों ने एक साथ नहाया..और नहाते वक्त मैंने कमोड के ऊपर बैठ कर उसे मेरे लंड की सवारी करवाई..उसे ये बहुत अच्छा लगा..दोनों ने एक दुसरे को अच्छे से साबुन से नहलाया..फ़िर पोंछा..बाद मे उसने अपने कपड़े वैसे ही एक थैली मे भरे और मम्मी की साड़ी पहन कर चली गई..जाते वक्त उसने फ़िर से कहा की मेरे घर आ कर तुम मुझे जब चाहे तब चोद सकते हो..और ऐसे ही चुदाई मे वो एक बार गर्भवती हो गयी..बाद मे उन्होंने कहा की इसे मैं जन्म दूँगी ये तुम्हारे धमाकेदार चुदाई की निशानी है..वो दुसरे शहर मे एक साल तक जा कर रही और बाद मे मेरे बेटे को साथ ले कर आयी...शायद मेरे मम्मी और डैडी को ये बात उसने बता दी थी इसलिए कभी कभी वो बाहर जाते वक्त मुझसे कहते आज रेखा को बुला लेना..

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Unknown ने कहा…


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Mastaram ने कहा…

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Indian Sex Bazar ने कहा…







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Unknown ने कहा…

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Agar sagi bahen bhai ko ghar me hi bahenchod bha de fir bhosdika bhai bahar ghas nhi daalega